वेदों में सिविल इंजीनियरिंग
Keywords:
त्रिधातु, त्रिवरूथ, सदस्, सूत्रधार, ओपष, विषुवतAbstract
सिविल इंजिनियरिंग में भौतिक और प्राकृतिक रूप से बने परिवेष में पुल, सड़क, नहरें, बाँध, भवनों आदि के डिजाइन
निर्माण और रख-रखाव से जुड़ी समस्याओं पर कार्य किया जाता है। वैदिक संस्कृति एक ग्रामीण संस्कृति थी, इससे
संबंधित पुरातात्विक प्रमाणों की अनुपलब्धता हमें एक मात्र साहित्यिक स्त्रोतों के माध्यम से समझने की इजाजत देता है।
सिन्धु सभ्यता के अवशान के बाद हमें पुख्ता वास्तु व भौतिक सामग्री के नाम पर मुख्यतया छिट-फुट मृद्भाण्ड ही प्राप्त
होते हैं, वहीं साहित्यिक स्त्रोत एक वृहत्र वैज्ञानिक परिवेष का चित्र प्रस्तुत करती है। इन्हीं साहित्यिक स्त्रोतों में सन्दर्भित
जानकारी के आधार पर प्रस्तुत लेख में वैदिक युगीन सिविल इंजिनियरिंग को समझने का प्रयास किया गया है। चूँकि
ग्रामीण संस्कृति में जनसंख्या विरल होती है इसलिए शहरी समाज वाली सुव्यवस्था की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। शहरी
सुव्यवस्था सामुहिक आवश्यकता का परिणाम है। वेदों में आरामदायक, सुरक्षित तथा सुंदरता युक्त भवन बनाने योजना का
विवरण प्राप्त होता है।
References
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