पंचतंत्र में काम मनोविज्ञान

Authors

  • रामकेश पाण्डेय प्राचार्य, आदित्य प्रकाश जालान टीचर्स टेªनिंग काॅलेज, कुदलुम, नगड़ी, राँची

Keywords:

पंचतंत्र, काम-मनोविज्ञान

Abstract

भारतीय मनोवैज्ञानिक चिंतन में मूल प्रवृत्तियों का प्रचलन कामशक्ति के कारण माना गया है। वास्तव में कोई भी प्रवृत्ति राग
के कारण ही हाते ी है और राग का दूसरा नाम है ‘काम’। काम से ही वासनाआंे की उत्पत्ति होती है। अथर्ववदे मंे काम
शब्द विकार के साथ इच्छा और कामना का भी वाचक है। काम मन का प्रथम बीज कहा गया है, यह अत्यधिक बलवान
और शत्रु को मारन े वाला है। वाणी इसकी पुत्री है। इसे न तो वायु ही पकड़ सकती है, न आग, न सूर्य और न ही चन्द्रमा
ही। काम के सर्वविध वर्णन के साथ पचं तंत्र ने इसके निषेध व हानि को बताते हुय े संरक्षापे ायांे से भी अवगत कराया है।
वह ‘नातिप्रसंगः प्रभदासु’ से जागृत करता है कि नारियों में अधिक आसक्ति नहीं रखनी चाहिए।

DOI: 10.5281/zenodo.10445081

Author Biography

रामकेश पाण्डेय, प्राचार्य, आदित्य प्रकाश जालान टीचर्स टेªनिंग काॅलेज, कुदलुम, नगड़ी, राँची

प्राचार्य, आदित्य प्रकाश जालान टीचर्स टेªनिंग काॅलेज, कुदलुम, नगड़ी, राँची

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Published

15-12-2023

How to Cite

रामकेश पाण्डेय. (2023). पंचतंत्र में काम मनोविज्ञान. RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES, 10(4), 78–83. Retrieved from https://ijorr.in/ojs/index.php/rrssh/article/view/115